एनआईए ने दिल्ली और बिहार से 2 नक्सलियों को गिरफ्तार किया, हथियार, 3 लाख रुपए, सेना की वर्दी बरामद।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
इंद्र वशिष्ठ

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रंगदारी और लेवी वसूलने के मामले में आतंकी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के खिलाफ शुक्रवार को चार राज्यों में छापेमारी के दौरान दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। दो पिस्तौल, 3 लाख रुपए, भारतीय सेना की वर्दी, आभूषण,मोबाइल फोन, सिम कार्ड, पेन ड्राइव, डीवीआर, दस्तावेज आदि बरामद हुए है।

एनआईए द्वारा शुक्रवार को झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और नई दिल्ली में इस संगठन और आरोपियों से जुड़े कुल 23 स्थानों की तलाशी ली गई। इनमें झारखंड में 19 , बिहार (पटना जिला) और मध्य प्रदेश (सिद्धि जिला) में एक-एक स्थान और नई दिल्ली में दो स्थान शामिल हैं।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान बिहार निवासी रमन कुमार सोनू उर्फ ​​सोनू पंडित और दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम जिले के निवासी निवेश कुमार के रूप में हुई। भारत के विभिन्न राज्यों में पीएलएफआई के नेताओं, कैडरों और समर्थकों द्वारा जबरन वसूली / लेवी वसूली से संबंधित मामले में एनआईए द्वारा दर्ज एफआईआर में दोनों आरोपियों का नाम शामिल है।

पीएलएफआई कैडरों द्वारा जबरन वसूली के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण की जानकारी के बाद एनआईए ने 11 अक्टूबर 2023 को आईपीसी और यूए (पी) अधिनियम, 1967 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

एनआईए की अब तक की जांच से पता चला है कि प्रतिबंधित संगठन के कैडर झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में विभिन्न कोयला व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, रेलवे ठेकेदारों और व्यापारियों से जबरन वसूली के माध्यम से धन जुटाने में शामिल थे।

ये सुरक्षा बलों पर हमले, हत्या, आगजनी और समाज में आतंक पैदा करने के लिए विस्फोटकों/आईईडी का इस्तेमाल करने और विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश भी रच रहे थे।

जांच के अनुसार, पीएलएफआई कैडर लेवी वसूलने के अलावा अन्य नापाक गतिविधियों जैसे भर्ती, हथियारों और गोला-बारूद की खरीद में भी शामिल थे।
एनआईए  को जांच से यह भी पता चला है कि पीएलएफआई के नेता, कैडर और समर्थक झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और अन्य पीएलएफआई प्रभावित राज्यों में संगठन को पुनर्जीवित और विस्तारित करने की साजिश रच रहे थे।
कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.