मकर संक्रांति के दिन घर पर ही इस तरह पाएं पवित्र स्नान के समान पुण्य और यहाँ जानिए शुभ मुहूर्त व महत्व

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,13 जनवरी।सनातन धर्म में संक्रांति दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. बता दें कि जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 जनवरी 2024, सोमवार के दिन प्रत्यक्ष देवता सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है.

मान्यता यह भी है कि इसी दिन से नए युग का शुभारंभ होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और सूर्य देव की उपासना करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. साथ ही इस दिन पवित्र स्नान करने से भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति के दिन क्या है पवित्र स्नान का महत्व?
शास्त्रों में बताया गया है कि संक्रांति तिथि के दिन गंगा, जमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और उन्हें मृत्यु के बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. साथ ही इस विशेष दिन पर पवित्र स्नान करने से जीवन में आ रही कई प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं. इसके साथ मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी के किनारे पिंड दान, तर्पण या श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जिन जातकों को पितृ दोष के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें भी लाभ मिलता है.

मकर संक्रांति के दिन इस तरह घर में करें पवित्र स्नान
इस वर्ष मकर संक्रांति सप्ताह के पहले दिन पड़ रही है. ऐसे में कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि वह पवित्र स्नान कैसे करेंगे? लेकिन इसके लिए भी शास्त्रों में विधान को बताया गया है. बता दें कि यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ है तो वह घर में स्नान के समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकता है. इस दौरान पानी गंगाजल के साथ तिल अवश्य डालें. ऐसा करने से पवित्र स्नान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति 2024 शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति का क्षण दोपहर 02:55 पर होगा. वहीं इस दिन पुण्य काल सुबह 07:15 से शाम 05:44 तक रहेगा. बात दें कि महा पुण्य काल सुबह 07:15 से सुबह 09:00 तक रहेगा. मान्यता है की मकर संक्रांति के दिन महा पुण्य काल में स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से उपासना सफल होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.

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