हम बीओटी मॉडल को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे इसे निवेश के अनुकूल और निजी भागीदारी के लिए आकर्षक बनाया जा सके: नितिन गडकरी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,18 जनवरी। बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए, नई दिल्ली में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने रियायतग्राही/ठेकेदार, हाईवे ऑपरेटर्स, निवेश ट्रस्ट, बैंकर जैसे उद्योग हितधारकों और सड़क क्षेत्र से वित्तीय संस्थान, तकनीकी और वित्तीय सलाहकार के साथ एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन, सचिव, एनएचएआई के अध्यक्ष संतोष कुमार यादव और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, एनएचआईडीसीएल, नीति आयोग, आर्थिक मामलों के विभाग, वित्तीय सेवा विभाग, कानूनी मामलों के विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि “हम बीओटी मॉडल को पुनर्जीवित करने और इसे निवेश के अनुकूल और निजी भागीदारी के लिए आकर्षक बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इससे न केवल सड़क बुनियादी ढांचा मजबूत होगा बल्कि इसका व्यापक प्रभाव होगा जो अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, रोजगार क्षमता बढ़ाने और लॉजिस्टिक लागत को कम करने में मदद करेगा।
सम्मेलन में हितधारकों की गई चिंताओं और बाधाओं को दूर करने के लिए बीओटी (टोल) के मॉडल रियायत समझौते (एमसीए) में प्रस्तावित संशोधनों पर एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं। प्रस्तावित संशोधनों में विसंगतियों को दूर करने के लिए विभिन्न प्रावधान शामिल हैं जैसे समाप्ति भुगतान का निर्धारण, वास्तविक यातायात (पीसीयू) बनाम वाहनों के टोलिंग समूहों के आधार पर रियायती अवधि में संशोधन, डिजाइन क्षमता से अधिक वास्तविक यातायात को फिर से देखना और देरी के लिए मुआवजा, प्राधिकरण के हिस्से के साथ-साथ अप्रत्याशित घटना के कारण अतिरिक्त टोलवे/प्रतिस्पर्धी सड़क के मामले में बाय बैक के नए प्रावधान के साथ परियोजना के पूरा होने से पहले समाप्ति भुगतान को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
वर्तमान में, बीओटी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में विभिन्न चुनौतियों के कारण परियोजनाओं को इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) या हाइब्रिड एन्युइटी मोड (एचएएम) पर प्रदान किया जा रहा है। बीओटी परियोजनाओं के पुनरुद्धार के लिए कई पहल की गई हैं और सामंजस्यपूर्ण प्रतिस्थापन, वन टाइम फंड इन्फ्यूजन, तर्कसंगत मुआवजा, प्रीमियम स्थगन और पुनर्वित्त की अनुमति जैसी विभिन्न योजनाएं अतीत में अपनाई गई हैं। आगे बढ़ते हुए, 2.1 लाख करोड़ रुपये की 5200 किमी की लंबाई के लिए 53 बीओटी (टोल) परियोजनाएं की पहचान की गई और 27,000 करोड़ की 387 किमी लंबाई वाली 7 परियोजनाओं की बोली लगाने का न्योता दिया गया।
भारत सरकार की ‘विज़न 2047’ योजना के अनुसार, बड़ी संख्या में हाई-स्पीड कॉरिडोर विकसित करने की परिकल्पना की गई है। सड़क क्षेत्र के विकास में मजबूत सार्वजनिक निजी भागीदारी इस दृष्टिकोण को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और देश में विश्व स्तरीय राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के विकास के साथ-साथ संचालन और रखरखाव में बहुत योगदान देगी।
📍 𝓝𝓮𝔀 𝓓𝓮𝓵𝓱𝓲 | Addressing Conference on BOT Projects organised by MoRTH. https://t.co/vpjjtvFBlY
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) January 17, 2024