संयुक्त राष्ट्र जेंडर एडवोकेट सम्मान पाने वाली दूसरी भारतीय बनीं मेजर राधिका सेन, सोशल मीडिया पर हो रही जमकर तारीफ
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29मई। भारतीय सेना की मेजर राधिका सेन ने पूरी दुनिया में इंडियन आर्मी को गौरन्वावित कराया है, आज देश के हर नागरिक को उन पर गर्व है. ऐसा इसलिए क्योंकि बुधवार, 29 मई को मेजर राधिका सेन को संयुक्त राष्ट्र के मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया, ये अवॉर्ड पाने वाली वो दूसरी भारतीय बन गई हैं. राधिका से पहले साल 2019 में इंडियन आर्मी की मेजर सुमन गवानी को ये सम्मान दिया गया था. सोशल मीडिया पर हिमाचल प्रदेश की रहने वाली मेजर राधिका सेन की जमकर तारीफ हो रही है. हर कोई उन्हें रियल लाइफ हीरो बता रहा है. साल 2023 में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक के तौर पर राधिका सेन को दक्षिण सूडान में भारतीय रैपिड डिप्लॉयमेंट बटालियन के साथ तैनात किया गया था. वो कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (मोनुस्को) में शांति मिशन पर काम कर रही थीं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने की घोषणा
मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड मिलने के बाद एक तरफ जहां सोशल मीडिया पर मेजर राधिका सेन की तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस अवॉर्ड को लेकर भी चर्चा हो रही है. ज्यादातर लोगों को नहीं पता कि ‘मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड’ है क्या और क्यों दिया जाता है? अगर आप भी उनमें से एक हैं तो आज आपकी सारी कंफ्यूजन दूर हो जाएगी. राधिका सेन को अवॉर्ड दिए जाने की जानकारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने दी. उन्होंने बताया कि गुरुवार को राधिका सेन को 2023 मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड दिया जाएगा.
क्यों दिया जाता है ये अवॉर्ड?
आपको बता दें कि हर साल 29 मई के दिन को संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसकी शुरुआत 2003 से हुई थी. वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के तौर पर दुनियाभर में 70,000 से अधिक शांति सैनिक अपनी सेवा दे रहे है, जो भारत समेत अन्य देशों की सेना के जवान हैं. मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड एक व्यक्तिगत संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक के समर्पण और प्रयास का सम्मान करता है. इस अवॉर्ड के लिए विजेताओं का चयन संयुक्त राष्ट्र के सभी शांति अभियानों के संयुक्त राष्ट्र बल कमांडरों और मिशन प्रमुखों द्वारा नामांकित उम्मीदवारों में से किया जाता है.
एंटोनियो गुटेरेस ने बधाई देते हुए राधिका सेन को एक रोल मॉडल बताया. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, राधिका सेन ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया, जहां उन्होंने उत्तरी किवु में एक अलर्ट नेटवर्क बनाने में मदद की, जो समुदाय के लोगों, युवाओं और महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए एक मंच प्रदान किया. गुटेरेस ने कहा कि उन्होंने समर्पण की भावना के साथ महिलाओं और लड़कियों सहित संघर्ष-प्रभावित समुदायों का विश्वास जीता. सेन के सैनिकों ने उत्तरी किवु में बढ़ते संघर्ष के माहौल में उनके साथ काम किया. सेन ने कहा, ‘लिंग-संवेदनशील शांति स्थापना हर किसी का काम है – न कि केवल हम महिलाओं का. शांति की शुरुआत हम सभी की खूबसूरत विविधता से होती है.’
उन्होंने कहा, ‘यह पुरस्कार मेरे लिए खास है. यह कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के चुनौतीपूर्ण माहौल में काम करने वाले सभी शांति सैनिकों की कड़ी मेहनत और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने को मान्यता देता है.’ हिमाचल प्रदेश की रहने वाली राधिका सेन एक बायोटेक इंजीनियर हैं, जो आईआईटी बॉम्बे में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रही थीं, जब उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया. उन्हें 2023 में भारतीय रैपिड डिप्लॉयमेंट बटालियन के साथ इंगेजमेंट प्लाटून कमांडर के रूप में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (मोनुस्को) में नियुक्त किया गया था, और उन्होंने अप्रैल 2024 में अपना कार्यकाल पूरा किया. सेन मेजर सुमन गवानी के बाद यह सम्मान पाने वाली दूसरी भारतीय पीस कीपर हैं. सुमन गवानी ने दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया था और 2019 में यह पुरस्कार प्राप्त किया था.