9000 टीईयू क्षमता वाले एमवी सैन फर्नांडो जहाज की डॉकिंग अगली पीढ़ी के विश्वस्तरीय बंदरगाह अवसंरचना में भारत के प्रवेश का प्रतीक है: सर्बानंद सोनोवाल

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारत के पहले गहरे पानी के कंटेनर ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह विझिंजम में पहला मदर शिप किया प्राप्त

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,13 जुलाई। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने केरल के विझिंजम में भारत के पहले गहरे पानी के कंटेनर ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह पर पहला मदर शिप ‘एमवी सैन फर्नांडो’ प्राप्त किया। 9000 टीईयू तक की क्षमता वाला जहाज, भारत के पहले स्वचालित बंदरगाह पर डॉक हुआ जो अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है, जो मेगामैक्स कंटेनरशिप को संभालने की क्षमता रखता है, साथ ही जहाजों को त्वरित बदलाव के लिए बड़े पैमाने पर स्वचालन प्रदान करता है। इस अवसर पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी उपस्थित हुए।

इस अवसर पर सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “आज भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, जहां भारत का पहला मदरशिप डॉक विझिंजम में है, जो भारत का सही मायने में गहरे पानी वाला पहला अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल है। यह ‘मेक इन इंडिया’ दृष्टिकोण का प्रमाण है, जहां केरल सरकार, भारत सरकार के साथ-साथ अदानी पोर्ट सेज के बीच पीपीपी सहयोग ने भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक अद्भुत संपत्ति तैयार किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत उद्यमशील उद्यमों को सुसज्जित और सक्षम बना रहा है और राष्ट्र निर्माण हेतु क्षमता निर्माण करने के लिए आवश्यकतानुसार सहयोग कर रहा है। यह अद्भुत उपलब्धि देश के बंदरगाह क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत है। यह देश में विश्व स्तरीय बंदरगाह अवसंरचना का निर्माण करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। राष्ट्र निर्माण की इसी भावना के साथ, हमारा मंत्रालय, प्रधानमंत्री मोदी जी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में, मेगा पोर्ट परियोजनाओं को पूरा करने की दिशा में काम कर रहा है, जिसमें महाराष्ट्र के वधावन में ऑल वेदर डीप ड्राफ्ट पोर्ट और गैलाथिया बे में इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (आईसीटीटी) शामिल हैं।”

विझिंजम बंदरगाह, केरल में तिरुवनंतपुरम के पास एक रणनीतिक समुद्री परियोजना है। यह भारत में पहली ग्रीनफील्ड बंदरगाह परियोजना है, जिसे राज्य सरकार द्वारा 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश के साथ शुरू किया गया है। सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के अंतर्गत विकसित यह बंदरगाह देश के बंदरगाह क्षेत्र में सबसे बड़ी पहलों में से एक है। अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के पास विझिंजम का रणनीतिक स्थान जहाजों के लिए पारगमन समय को बहुत कम कर देता है, जिससे यह समुद्री व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु बन जाता है। भारत के कुछ प्राकृतिक गहरे पानी के बंदरगाहों में से एक के रूप में, यह कुशलतापूर्वक बड़े कार्गो और कंटेनर जहाजों को समायोजित कर सकता है। विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह का विकास रोजगार उत्पन्न करने, व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश आकर्षित करके केरल की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। वर्तमान में चल रही अवसंरचना परियोजनाओं का उद्देश्य बंदरगाह को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करना है, जिसमें आधुनिक कंटेनर टर्मिनल, गोदाम और रसद पार्क शामिल हैं। विझिंजम क्षेत्रीय व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने के लिए तैयार है, संभावित रूप से दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के बीच वाणिज्य के लिए प्रवेश द्वार के रूप में काम कर रहा है।

सर्बानंद सोनोवाल ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रभावशाली नेतृत्व में, भारत ने देश में बंदरगाह क्षेत्र में तेजी से विकास किया है, क्योंकि हमारा लक्ष्य आने वाले वर्षों में शीर्ष समुद्री वैश्विक शक्ति बनने का है। आज, विझिंजम बंदरगाह के परिचालन के साथ, भारत इस क्षेत्र में व्याप्त अवसरों का लाभ उठाने और कोलंबो और सिंगापुर ट्रांसशिपमेंट हब के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करने लिए तैयार है। सरकार देश के समुद्री क्षेत्र को सक्षम बनाने और सुसज्जित करने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि सागरमाला परियोजना के अंतर्गत केरल में 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं लागू की जा रही हैं – पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय का प्रमुख कार्यक्रम। समुद्री क्षेत्र को प्रभावित करने वाले गतिशील वैश्विक परिदृश्य के साथ, यह बंदरगाह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उत्पन्न होने वाले व्यवधानों को कम करने के लिए एक व्यवहार्य विकल्प और प्रमुख शिपिंग लाइनों का विकल्प प्रदान करता है।

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