सपा और कांग्रेस की दोस्ती: यूपी उपचुनाव में दो और पांच सीटों की लड़ाई में अटकी, कांग्रेस नाराज

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच बनी गठबंधन की दोस्ती में दरारें उभरती दिख रही हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद उभर रहे हैं, जो गठबंधन की सफलता के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। खबरों के मुताबिक, सपा ने कांग्रेस को उपचुनाव के लिए केवल दो सीटें देने का प्रस्ताव दिया है, जबकि कांग्रेस कम से कम पांच सीटों की मांग कर रही है। इस विवाद के चलते कांग्रेस में नाराजगी बढ़ रही है और गठबंधन की स्थिति तनावपूर्ण हो गई है।

सीट बंटवारे पर मतभेद

उत्तर प्रदेश उपचुनाव में कुल सात सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। सपा, जो इस गठबंधन में प्रमुख भूमिका निभा रही है, ने कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें देने का प्रस्ताव रखा है। कांग्रेस, जो खुद को एक मजबूत क्षेत्रीय दल के रूप में पुनर्स्थापित करने की कोशिश कर रही है, कम से कम पांच सीटों की मांग कर रही है। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि अगर उन्हें पर्याप्त सीटें नहीं दी जातीं, तो इससे उनके कार्यकर्ताओं में निराशा फैलेगी और उनका प्रभाव कम हो जाएगा।

कांग्रेस की नाराजगी

कांग्रेस पार्टी इस बात से नाराज बताई जा रही है कि सपा ने उनके साथ उचित सीटों का बंटवारा नहीं किया। कांग्रेस के कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से यह कहा है कि यदि उन्हें सम्मानजनक हिस्सेदारी नहीं मिली, तो वे गठबंधन पर पुनर्विचार कर सकते हैं। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि उन्हें सपा से इस तरह की अपेक्षा नहीं थी, खासकर तब, जब दोनों पार्टियां भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का दावा कर रही थीं।

सपा की रणनीति

सपा का कहना है कि गठबंधन का मकसद भाजपा को हराना है, और सीटों का बंटवारा चुनावी गणित के आधार पर हो रहा है। सपा का मानना है कि उसे उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में कांग्रेस से ज्यादा प्रभावी माने जाने वाली सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। सपा नेताओं के अनुसार, पार्टी के पास कई सीटों पर मजबूत आधार है और कांग्रेस को कम सीटें देने से चुनावी लड़ाई में बेहतर सफलता मिलेगी।

गठबंधन के भविष्य पर सवाल

इस मतभेद से सपा-कांग्रेस गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। यूपी में उपचुनावों से पहले यह दरार विपक्षी एकता के प्रयासों को कमजोर कर सकती है। यदि यह विवाद हल नहीं होता, तो कांग्रेस और सपा दोनों ही अलग-अलग लड़ सकते हैं, जिससे भाजपा को फायदा हो सकता है।

विपक्षी एकता पर असर

सपा और कांग्रेस का यह गठबंधन यूपी विधानसभा चुनाव 2024 के लिए एक बड़े विपक्षी गठबंधन का हिस्सा माना जा रहा था, लेकिन उपचुनाव से पहले उभरे इस विवाद से विपक्षी एकता को बड़ा झटका लग सकता है। अगर दोनों पार्टियां सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बना पातीं, तो यह पूरे राज्य में भाजपा के खिलाफ बने विपक्षी गठबंधन के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है।

निष्कर्ष

सपा और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर चल रही इस खींचतान ने गठबंधन की संभावनाओं को धुंधला कर दिया है। अगर दोनों पार्टियां समय रहते इस मसले को सुलझा नहीं पातीं, तो भाजपा के खिलाफ उनके संयुक्त मोर्चे को गंभीर नुकसान हो सकता है। अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या दोनों पार्टियां आपसी समझौते से इस विवाद को सुलझा पाती हैं या फिर अलग-अलग रास्ते अपनाती हैं।

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