महाकुम्भ 2025: सनातन धर्म के संरक्षण के लिए धर्मपीठों में सामंजस्य पर परिचर्चा

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 जनवरी।
प्रयागराज में महाकुम्भ 2025 के शुभ अवसर पर संगमतट अरैल पर स्थित महर्षि आश्रम में एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन महर्षि संस्थान द्वारा दिनांक 6 फरवरी 2025, गुरुवार को होगा। इस परिचर्चा का विषय है: “सनातन धर्म के संरक्षण के लिए धर्मपीठों में परस्पर सामंजस्य की त्वरित आवश्यकता”

महर्षि संस्थान के प्रमुख वेद विद्या मार्तण्ड ब्रह्मचारी गिरीश जी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस महत्वपूर्ण चर्चा में सनातन धर्म के प्रतिष्ठित पूज्य शंकराचार्य, आचार्य महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत और अन्य संतों को आमंत्रित किया गया है। यह आयोजन सनातन धर्म के संरक्षण और उसके प्रचार-प्रसार में सभी धर्मपीठों की एकजुटता और सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

परिचर्चा का उद्देश्य

ब्रह्मचारी गिरीश जी ने बताया कि वर्तमान समय में सनातन धर्म पर आ रहे विभिन्न आघातों और चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी धर्मपीठों का एकमत होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि धर्मपीठों के सामंजस्य से न केवल सनातन धर्म का संरक्षण होगा, बल्कि उसका विस्तार भी तीव्र गति से संभव होगा। इसी दृष्टिकोण से इस परिचर्चा का आयोजन किया गया है।

संतों का समर्थन और सहभागिता

महर्षि संस्थान द्वारा किए गए इस आयोजन के लिए अनेक संतों ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया है और इसमें सम्मिलित होने की सहमति दी है। यह परिचर्चा सनातन धर्म के विविध पक्षों पर विचार-विमर्श का एक प्रमुख मंच बनेगी, जहां उपस्थित संतगण अपने विचार साझा करेंगे और धर्म के संरक्षण के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करेंगे।

महाकुम्भ में विशेष महत्व

महाकुम्भ जैसे पावन अवसर पर यह परिचर्चा अत्यधिक महत्वपूर्ण है। संगम की पवित्र भूमि पर होने वाला यह आयोजन सनातन धर्म के अनुयायियों को प्रेरणा देगा और धर्मपीठों के सामंजस्य से धर्म की शक्ति को संगठित करेगा।

इस आयोजन की प्रतीक्षा में, सनातन धर्म के अनुयायी और संतगण इस महान प्रयास को सफल बनाने के लिए एकत्रित हो रहे हैं। यह परिचर्चा सनातन धर्म की रक्षा और उसके भविष्य के निर्माण में मील का पत्थर सिद्ध होगी।

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