वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की स्वीकृति, विपक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29 जनवरी:
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बुधवार को घोषणा की कि समिति ने बहुमत से रिपोर्ट और प्रस्तावित कानून के संशोधित संस्करण को स्वीकार कर लिया है। विधेयक को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दी गई।

हालांकि, विपक्षी दलों ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना करते हुए इसे ‘असंवैधानिक करार दिया। उनका कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों के धार्मिक मामलों में सरकार के हस्तक्षेप का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे वक्फ बोर्ड समाप्त होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि समिति द्वारा स्वीकार किए गए कई संशोधनों ने विपक्ष की चिंताओं को भी ध्यान में रखा है। उन्होंने बताया कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद वक्फ बोर्ड को पारदर्शिता और प्रभावी तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में सहायता मिलेगी।

पाल ने यह भी कहा कि पहली बार ‘पसमांदा’ (पिछड़े) मुसलमानों, गरीबों, महिलाओं और यतीमों को वक्फ के लाभार्थियों में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि समिति की रिपोर्ट गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी जाएगी।

कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप) और एआईएमआईएम समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने समिति की कार्यप्रणाली और विधेयक के स्वीकृत संस्करण की तीखी आलोचना की।

  • टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने समिति की टिप्पणियों और सिफारिशों को “पूरी तरह से विकृत” बताया।
  • एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक वक्फ बोर्डों को कमजोर करेगा और सरकारी दखल को बढ़ावा देगा।
  • कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने विधेयक के संशोधनों को “असंवैधानिक” बताते हुए आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना है।
  • द्रमुक सांसद ए. राजा ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक को संसद से पारित होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।

विपक्षी सांसदों ने यह भी शिकायत की कि 655 पृष्ठों की रिपोर्ट उन्हें मंगलवार रात को दी गई थी, जिससे उनका अध्ययन और असहमति पत्र तैयार करना कठिन हो गया। कई सदस्यों ने अपनी असहमति दर्ज करा दी है, जबकि कुछ बुधवार शाम 4 बजे की समयसीमा तक अपने असहमति पत्र सौंपेंगे।

बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने विपक्षी दलों की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। उन्होंने दावा किया कि इस कानून से मुस्लिम समुदाय सशक्त होगा।

विधेयक मौजूदा कानून से “उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” खंड को हटा देता है, लेकिन यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसी संपत्तियों के खिलाफ कोई मामला फिर से नहीं खोला जाएगा, बशर्ते कि वे विवाद में न हों या सरकारी नियंत्रण में न हों।

संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि वक्फ बोर्डों में गैर-मुसलमानों को शामिल करने के सरकार के प्रस्ताव को समर्थन मिला है, जिससे वे “लाभार्थी और विवादों के पक्षकार” बन सकते हैं।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा लोकसभा में पेश किया गया था। 8 अगस्त, 2024 को इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। समिति ने अपने गठन के बाद 38 बैठकें आयोजित कीं और विभिन्न राज्यों का दौरा कर हितधारकों से परामर्श लिया।

समिति ने सोमवार को हुई बैठक में बीजेपी सांसदों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया, जबकि विपक्षी सदस्यों द्वारा सुझाए गए संशोधनों को खारिज कर दिया।

जेपीसी की रिपोर्ट अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी जाएगी। जब पाल से पूछा गया कि क्या विधेयक 31 जनवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में पारित किया जाएगा, तो उन्होंने कहा कि अब यह निर्णय लोकसभा अध्यक्ष और संसद पर निर्भर करता है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर सियासी गर्मी तेज हो गई है। जहां सरकार इसे वक्फ संपत्तियों के

 

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