समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,9 मार्च। असम, जिसे अपनी हरी-भरी भूमि और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के कृषि क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था, मुख्य रूप से धान, चाय, जूट, फल, और सब्जियों के उत्पादन पर निर्भर करती है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में राज्य के कृषि क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। असम में कृषि भूमि में मामूली गिरावट देखी जा रही है, लेकिन इसके साथ ही सिंचाई कवरेज में भारी वृद्धि हुई है।
असम में कृषि भूमि का क्षेत्रफल 2015-16 में 35.09 लाख हेक्टेयर था, जो 2024-25 में घटकर 34.94 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह गिरावट भले ही मामूली हो, लेकिन यह कृषि क्षेत्र के समक्ष एक चुनौती का संकेत देती है। कृषि भूमि में कमी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, भूमि उपयोग परिवर्तन, और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव। इस गिरावट के बावजूद, असम में कृषि के लिए उपलब्ध भूमि की स्थिति और उसकी उपज में उतनी बड़ी गिरावट नहीं आई है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
हालांकि कुल कृषि भूमि में गिरावट आई है, शुद्ध कृषि भूमि में वृद्धि देखी गई है। 2015-16 में यह 28.01 लाख हेक्टेयर थी, जो 2024-25 में बढ़कर 28.62 लाख हेक्टेयर हो गई है। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि राज्य में कृषि उत्पादकता बढ़ी है और भूमि का बेहतर उपयोग किया जा रहा है। इसका मतलब है कि भूमि का अधिकतम उपयोग करने के लिए नई तकनीकों, कृषि उपकरणों और बेहतर खेती के तरीकों को अपनाया जा रहा है।
असम के कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी सफलता सिंचाई कवरेज में वृद्धि रही है। राज्य के सिंचाई क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ है, जो कृषि उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 2015-16 में असम में शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल 3.25 लाख हेक्टेयर था, और कुल सिंचित क्षेत्रफल 4.55 लाख हेक्टेयर था, जो राज्य की कुल कृषि भूमि का केवल 11.60 प्रतिशत था। यह आंकड़ा दर्शाता है कि अधिकांश कृषि भूमि सूखे या पानी की कमी के कारण सिंचाई से वंचित थी, जिसके कारण उत्पादकता प्रभावित हो रही थी।
लेकिन 2024-25 तक, असम में सिंचाई क्षेत्रफल में भारी वृद्धि हुई है। शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल अब 6.95 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि कुल सिंचित क्षेत्रफल 8.80 लाख हेक्टेयर तक बढ़ चुका है। इसका मतलब है कि असम में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार किया गया है, जिससे किसानों को अपनी फसलों की बेहतर सिंचाई सुनिश्चित करने में मदद मिली है। इससे न केवल खेती में सुधार हुआ है, बल्कि सूखा या जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली समस्याओं से भी राहत मिली है।
सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले, राज्य सरकार ने सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता दी है। कई नई नहरों, जलाशयों और नदियों के जल का उपयोग कर सिंचाई के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा, कृषि विभाग ने जल संचयन, वर्षा जल संग्रहण, और आधुनिक सिंचाई तकनीकों को अपनाने की दिशा में कई पहल की हैं।
सिंचाई के विस्तार से कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है, जो किसानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है। चाय, धान, और जूट जैसी प्रमुख फसलों के उत्पादन में वृद्धि हुई है, और यह असम की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
असम में कृषि भूमि में गिरावट और सिंचाई कवरेज में वृद्धि के ये आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि राज्य में कृषि क्षेत्र में कुछ सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। हालांकि, भूमि का संकुचन और बढ़ती आबादी के दबाव को देखते हुए, असम को कृषि भूमि के बेहतर प्रबंधन के लिए नई योजनाएं और तकनीकें अपनानी होंगी।
राज्य सरकार को किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, भूमि सुधार, सिंचाई संरचनाओं का विस्तार और जलवायु स्मार्ट कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना आवश्यक होगा।
असम की कृषि भूमि में गिरावट और सिंचाई कवरेज में वृद्धि की यह स्थिति राज्य की कृषि नीति और योजनाओं में महत्वपूर्ण बदलावों का संकेत देती है। जहां एक ओर कृषि भूमि में मामूली गिरावट आई है, वहीं सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि से उत्पादकता में सुधार हुआ है। अगर असम कृषि क्षेत्र में इन परिवर्तनों का सही तरीके से प्रबंधन करता है, तो राज्य का कृषि क्षेत्र भविष्य में और अधिक मजबूत हो सकता है।