समग्र समाचार सेवा
मॉस्को,14 मार्च। अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन संकट पर एक महत्वपूर्ण मोड़ आ गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में लंबे समय तक सीजफायर का समर्थन किया है। पुतिन का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक घंटे के महत्वपूर्ण मुलाकात के बाद सामने आया है। पुतिन ने कहा कि रूस यूक्रेन संकट का समाधान करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन इसके लिए एक स्थायी और निर्णायक शांति प्रक्रिया की जरूरत है।
रूस के राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उनके देश ने हमेशा शांति की ओर कदम बढ़ाए हैं, और वे यूक्रेन संकट को सुलझाने के लिए एक लंबी और निर्णायक शांति प्रक्रिया के पक्षधर हैं। पुतिन ने अमेरिकी प्रतिनिधियों से यह भी कहा कि वे इस मुद्दे पर रूस के दृष्टिकोण को समझें और इसका समग्र समाधान खोजने में सहयोग करें।
अमेरिका के विशेष दूत भी इस बैठक में शामिल थे, जिन्होंने सीजफायर का समर्थन सुनिश्चित किया। दोनों देशों के बीच हालांकि अभी भी कुछ मतभेद हैं, खासतौर पर यूक्रेन के भविष्य के राजनीतिक संरचना को लेकर। पुतिन ने यह भी साफ किया कि रूस कभी भी यूक्रेन को अपनी संप्रभुता से समझौता करने के लिए न तो चलेगा न ही छोड़ेगा।
जुलाई के दौरान अमेरिका और रूस के बीच हाल ही में हुई इस मुलाकात ने सकारात्मक दिशा में बढ़ा, लेकिन यूक्रेन संकट के स्थायी हल को चुनौतीपूर्ण बने रहना होगा। रूस की ओर से सीजफायर के समर्थन के इन बावजूद, यूक्रेन और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों के बारे में कई गंभीर समस्याएं हैं, जिनका समाधान भविष्य में पांव रखता है।
यह बातचीत और पुतिन का बयान इस बात को रेखांकित करते हैं कि रूस अब यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए तैयार है, बशर्ते कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा कर सके। पुतिन ने कहा, “यूक्रेन का समाधान तभी संभव है जब दोनों पक्ष गंभीरतापूर्वक शांति प्रक्रिया पर काम करें और इसे लंबी अवधि तक बनाए रखें।”
यह घटनाक्रम प वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि यूक्रेन संकट ने विश्व समुदाय को विभाजित कर दिया है। अमेरिका और रूस के मध्य इस वार्ता से उम्मीद है कि यह युद्ध समाप्त करने की दिशा में एक सहायक कदम होगा।
अमेरिका और रूस के बीच सीजफायर पर हुई सहमति से यह पता चलता है कि दोनों देश संयुक्त रूप से यूक्रेन संकट का समाधान निकालने के लिए जुटे हुए हैं, किन्तु इस प्रक्रिया में क कई जटिलताएँ अभी भी बरकरार हैं।
इस घटनाक्रम का दुनिया भर के नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सबक यह हो सकता है कि वैश्विक संकटों का समाधान कूटनीतिक वार्ता और सहयोग की आवश्यकता होगा, न कि सैन्य शक्ति का उपयोग केवल।