भोपाल, मध्यप्रदेश: भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बड़ी सुविधा शुरू होने वाली है। यहां अब नेत्रदान हो सकेंगे। साथ ही नई आंख लगाने (कार्नियल ट्रांसप्लांट) का काम भी होगा। एक से दो महीने के भीतर यह सुविधाएं शुरू हो जाएंगी। गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) प्रबंधन ने एम्स में आई बैंक शुरू करने को मंजूरी दे दी है।
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) ने संभाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज को आर्गन ट्रांसप्लांट का लाइसेंस देने के लिए अधिकृत किया है। इसी वजह से जीएमसी की नेत्र विभाग की टीम ने दो महीने पहले एम्स का निरीक्षण किया था। टीम को एम्स में सभी व्यवस्थाएं मापदंडों के अनुकूल मिली थीं। इसी आधार पर कॉलेज प्रबंधन ने आई बैंक का लाइसेंस दिया है।
आई बैंक बनने के बाद अब यहां पर नेत्रदान हो सकेंगे। कॉर्निया लगाने के लिए कोई जरूरतमंद नहीं मिला तो आंख को हफ्ते भर तक एमके मीडिया (कॉर्निया को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग होना वाला तरल) में रखा जा सकेगा। प्रदेश के आई बैंकों में एम्स का बैंक सबसे ज्यादा साधन संपन्न् है। यहां पर कॉर्निया की क्वालिटी पता करने के लिए सेल काउंटर मशीन भी लगाई जाएगी। ऑपरेशन थियेटर इस तरह से बनाया गया है कि बैक्टीरिया व फंगस के संक्रमण का खतरा न रहे।
कार्नियल ट्रांसप्लांट के लिए 40 जरूरतमंदों की सूची भी तैयार कर ली है। इनमें ज्यादातर बच्चे व युवा है। नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छा कार्निया मिलने पर सबसे पहले बच्चों को ही लगाया जाता है। कॉलेज की टीम ने एम्स के आई बैंक का निरीक्षण किया था। सभी संसाधन मापदंडों के अनुसार मिलने के बाद स्वीकृत दे दी गई है।