क्या नेपाल में योगी आदित्यनाथ ट्रेंड कर रहे हैं?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,13 मार्च।
काठमांडू में एक पूर्व राजतंत्र समर्थक रैली आयोजित की गई, जिसमें नेपाल के पूर्व राजा ग्यानेन्द्र शाह का स्वागत किया गया।

योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें इस रैली में बड़े पैमाने पर देखी जा सकती थीं।

राजनीति में यह मुद्दा विवादास्पद हो गया, और विभिन्न राजनीतिक दलों ने आदित्यनाथ की तस्वीरों का इस्तेमाल किए जाने की आलोचना की।

नेपाल में राजनीतिक हलचलें तेज हैं, और इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों का संबंध है। काठमांडू में 10 मार्च को एक बड़े राजतंत्र समर्थक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र  शाह का स्वागत किया गया। यह रैली पूर्व राजा के समर्थकों द्वारा नेपाल में फिर से राजतंत्र की बहाली के समर्थन में आयोजित की गई थी। इस रैली में जो बात सबसे अधिक चर्चा में आई, वह थी योगी आदित्यनाथ की विशाल तस्वीरें, जो रैली के बीच में जगह-जगह दिख रही थीं।

आदित्यनाथ का समर्थन राजतंत्र की ओर:

योगी आदित्यनाथ ने नेपाल के राजतंत्र के प्रति अपना समर्थन कई बार सार्वजनिक किया है। 2023 में नेपाल के पूर्व राजा ग्यानेन्द्र शाह ने उत्तर प्रदेश का दौरा किया था, और उस समय योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। आदित्यनाथ ने पहले भी नेपाल के राजतंत्र का समर्थन किया है, और उनका यह रुख नेपाल में कुछ वर्गों में चर्चा का विषय बन चुका है।

नेपाल में यह माना जाता है कि योगी आदित्यनाथ और उनके समर्थक नेपाल के राजतंत्र के पुनर्निर्माण के पक्षधर हैं, और इस दृष्टिकोण को कुछ लोग भारत की राजनीति से भी जोड़ते हैं। आदित्यनाथ का नाम उस रैली में इतनी बड़ी संख्या में दिखना यह संकेत देता है कि नेपाल के कुछ वर्ग भारत के साथ अपने संबंधों में एक नई दिशा की ओर बढ़ने का विचार कर रहे हैं, जो राजतंत्र की बहाली के पक्ष में हो।

रैली का उद्देश्य और प्रतिक्रिया:

रैली का मुख्य उद्देश्य नेपाल में राजतंत्र को फिर से स्थापित करना था, जो 2008 में जनआंदोलन के दौरान खत्म कर दिया गया था। इस रैली में, राजतंत्र समर्थक राशट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ग्यानेन्द्र शाह के पक्ष में नारे लगाए। उनके साथ साथ योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी प्रदर्शित की गईं। कुछ समर्थक इसे भारत का नेपाल में राजतंत्र के पुनर्निर्माण की ओर इशारा मानते हैं, जबकि अन्य इसे भारत-नेपाल रिश्तों का नया मोड़ मानते हैं।

राजनीतिक विवाद और आलोचना:

आदित्यनाथ जी की फ़ोटो ने राजनीतिक विवाद का कारण बनी। नेपाल के भीतर कुछ प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने इस पर सख्त आलोचना की। खासकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के खिलाफ विरोधी पार्टियों ने इसे भारत के हस्तक्षेप का संकेत माना। राशट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के प्रवक्ता ज्ञानेन्द्र  शाह ने इस मामले पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि यह तस्वीरें प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के मुख्य सलाहकार विष्णु रिमल के निर्देश पर लगाई गई थीं। रिमल ने इन आरोपों का खंडन किया और इसे राजनीति का हिस्सा बताया।

नेपाल में इस  विवाद ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या इस तरह की फोटो का प्रदर्शन नेपाल के आंतरिक मामलों में बाहरी प्रभाव डालने का संकेत है। यह घटना नेपाल में राजतंत्र के पुनर्निर्माण को लेकर चल रही बहस को और भड़काती है, जिसमें कुछ लोग इसमें नेपाल की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भ्यता के लिए खतरा देखते हैं।

योगी आदित्यनाथ का नेपाल में ट्रेंड करना न केवल भारत-नेपाल संबंधों के बारे में चर्चा को बढ़ावा देता है, बल्कि यह नेपाल के राजतंत्र के समर्थकों के लिए एक प्रतीक बन गया है। यह घटना इस बात को भी स्पष्ट करती है कि नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल और विभिन्न विचारधाराओं के बीच मुठभेड़ हो रही है। राजतंत्र समर्थक रैली और इसमें योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों की उपस्थिति ने इस बात को फिर से प्रमाणित किया कि नेपाल में राजतंत्र की बहाली को लेकर विचार और आवाजें उठ रही हैं। यह केवल नेपाल की आंतरिक राजनीति का ही मुद्दा नहीं है, बल्कि भारत और नेपाल के बीच के रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है।

सामाजिक सर्कल में यह बहस जारी रहेगी, और समय आने पर यह देखना रोचक होगा कि इस समस्या पर नेपाल के राजनैतिक दलों की प्रतिक्रिया  क्या होती है और क्या भारत-नेपाल संबंधों में कोई नया मोड़ आता है।

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