हमारा इतिहास समृद्ध था और समृद्ध ही रहेगा- केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, राष्ट्रीय महाधिवेशन "‘स्व’, स्वतंत्रता और प्रतिरोधः अतीत से वर्तमान तक" का आयोजन- दूसरा दिन

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
सासाराम, 27दिसंबर। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा “स्व, स्वतंत्रता और प्रतिरोध : अतीत से वर्तमान तक” विषय पर त्रि-दिवसीय संगोष्ठी कार्यक्रम 26 दिसंबर, सोमवार से आयोजित किया जा रहा है जो 28 दिसम्बर 2022 तक चलेगा। कार्यक्रम का आय़ोजन गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, जमुहार, सासाराम, बिहार में किया गया है।
आज कार्यक्रम के दूसरे दिन मंगलवार को उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि श्री धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय शिक्षा मंत्री भारत सरकार), डॉ बालमुकुंद पांडेय (राष्ट्रीय संयोजक अखिल भारतीय इतिहास संकल्प योजना) , नव नालंदा महाविहार के कुलपति डॉ बैद्यनाथ लाभ, केंद्रीय विश्व विद्यालय धर्मशाला व राज्य विश्व विद्यालय के कुलपति डॉक्टर सत्यप्रकाश बंसल, केंद्रीय  मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, GNS विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता सुरेश सोनी, ओम जी उपाध्याय व अन्य मौजुद रहे।

समारोह के दूसरे दिन मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सभा को संबोधित किया। अपने संबोधन के शुरूआत में शिक्षा मंत्री ने इतिहास का ज्रिक किया। उन्होंने कहा कि इतिहास हमारा समृद्ध था अब और भी समृद्ध रहेगा। कई कार्य हो रहे है, आपको देखकर अप्रतिम ख़ुशी होती है
अच्छा वक्ता नहीं हूँ। बाल मुकुंद जी ने एक लम्बी रेखा खिच दीं है। मै अनुयायी हूं। आप लोगों को आने वाले दिनों में मिलेंगी।
मै नेशनल बुक ट्रस्ट को कहूँगा कि ये सारी पुस्तकें देश की सभी भाषाओं में अनुवादित करना है। आने वाले 25 वर्षों में इतिहास के अद्भुत संकलन को विदेशी भाषाओं में भी प्रकाशित किया जाए। जहां भी indology पढ़ाया जाता है 26 नवंबर 1949 को जिनको काम दिया गया पर भाषा को लेकर वो काम नहीं हुआ। 26 nov को संविधान दिवस सभा मनाया जाता है, चर्चा की ज़िक्र सिर्फ़ वेदों में मिलता है
आधा विकसित देश का मालिकाना एक परिवार /देश के पास है। ट्रम्प चुनाव की हार की चर्चा की UK की बात हुई। 45 दिनो में नेता को पद छोड़ना पड़ता है। हमारी कण कण को जो आदि इतिहास है जिसने तत्त्व है जीवन दर्शन है। देश का गौरव बढ़ाया है। मैकले ने जो किया था उसको आज़ भी भुग़त रहे हैं भारत की पूँजी उसकी शिक्षा है.. पंचभूत को संतुलित करना ही विश्व को संतुलित करने जैसा है। इस बार पीएम साहेब ने 5 प्रण की बात कही थी रंग को आधार बनाकर हमें पीछे किया गया। बाहर के अच्छे मूल्यों को हम सीख सकते हैं ज़ो समाज को अपनी विरासत को लेकर गौरवान्वित नहीं हो सकता वो क्या समाज है। पीएम भी कहते है उच्च शिक्षा में अनुसंधान ज़रूरी है।
कई पाठ्य पुस्तकों को सुधारने का क्रम जारी है।
त्याग का उदाहरण ज़ोरावर सिंह नहीं होना चाहिए ??
क्रूरतापूर्ण की कहानियाँ में उन विध्वंसक की कथा क्यू नहीं होनी चाहिए। diversity में ही यूनिटी है हमारी शिक्षा में भाषा को प्राथमिकता है। इस कटि प्रदेश में कई प्रमाण मिले है। 7000 साल पुरानी कला कृतियाँ भी मिली है।
प्रधान ने कहा कि नई पीढ़ी पढ़ने से ज़्यादा देखने सुनने में ज़्यादा रुचि है। इस तकनीक का इस्तेमाल हो सकता है पढ़ाई के लिए डिजिटल तकनीक में भारत विश्व गुरु बनने की राह पर है। चीन की हालत बहुत ख़राब है। उनका टीका फेल. हमारा टीका सफल रहा है।
200 टीवी चैनल स्कूलों के लिए 260चैनल हाइअर एजुकेशन के लिए उस पर चलेगा क्या ??
डिस्कवरी से बेहतर चैनल करने जा रहे है तकनीक का बेहतर उपयोग करने जा रहे है। प्रधान ने भारतीय आयुर्वेद की महत्ता व क़ोरोना की बात कही। उन्होंने कहा कि आप लोग ज्ञान गुरु बनो ये हमारी अपेक्षा है। आज़ादी के पहले जो लोक गीत गाए जाते थे, जिससे देश में ऊर्जा का संचार होता था। सारे विषय को संकलन की भी चुनौती है। वैशाली ही प्रजातंत्र की जननी है, माँ है। विश्व कहने की आज़ादी को समझता है। प्रधान में जी20 की चर्चा की। उन्होंने कहा- ये अवसर है अपनी बातों को सबके सामने रखने का उस अवसर पर भारत की विरासत को रखने की इतिहास संकलन समिति उसमें भागीदारी करे प्रतिसोध का समय गया। विश्व की 800 करोड़ की आबादी में 500 करोड़ तो भारत को नेता स्वीकार कर चुका है बाक़ी भी जल्द ही स्वीकार लेंगे।

डॉक्टर बालमुकुंद पांडेय अपने संबोधन में कहा कि मानव संसाधन के रूप में नहीं मानव साधक के रूप में है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति नहीं भारतीय शिक्षा नीति पहली बार आया है।
ये नए भारत के परिप्रेक्ष्य में पीएम मोदी ने कई काम किए है। शिक्षा की 75 कितावो 125 सेमिनारों के माध्यम से एक नया माहौल बनाया है। अखिल भारतीय इतिहास संकलन की पहली बैठक ज़मीन पर बैठकर शुरू किया था आज़ 12वां महाधिवेशन है। भारत को हम यूरोप की दृष्टि से देखते थे इसलिए आतंकवाद को महिमा मंडित किया जाता हैं। ये अमृत काल है, ये नया भारत है। शोध भी भारत की चेतना की प्रकाश में हो जिस युद्ध से सत्ता परिवर्तन हुआ है, जहां हम जीते वो इतिहास ग़ायब था। हम मुग़लों का इतिहास पढ़ते रहे है, इस मिथ को तोड़ा है हमने अशोक का इतिहास अपने पाठ्यक्रम में नहीं है। राजा भोज को नहीं पढ़ पाते जहां जहां हम अपमानित हुये वही इतिहास पढ़ाया जाता रहा है। जय है सत्य स्वयं स्थापित होता है। वो स्वयं कथ्य होता है। वो सारे भारतीय पराक्रम को विश्व को दिखाएँगे। आने वाली पीढ़ी भारतीय होने का गर्व करे उसको लेकर हम संकल्पित है हमारा इतिहास कण कण में है। हम हसरत है मेरे बाप दादों की निशानी है उन्हें ग़ैरत है उस पगड़ी पर।

नव नालंदा महाविहार के कुलपति डॉ बैद्यनाथ लाभ ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ये हमारा संकल्प है बिद्रूप इतिहास को एक सच्ची आकृति प्रदान करना। वो हम कर रहे है, अपने सुदृढ़ इतिहास को लेकर हम प्रतिदिन प्रतिवर्ष विकसित हो रहे है।

केंद्रीय विश्व विद्यालय धर्मशाला व राज्य विश्व विद्यालय के कुलपति डॉक्टर सत्यप्रकाश बंसल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का विस्तार हुआ परंतु विकास नहीं हुआ है। विकास राष्ट्र की संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए था, जो हम लोग अब कर रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति जो अब तक अटकी थी अब क्रियान्वित हो रही है। इसके लिए डॉ बंसल ने प्रधानमंत्री मोदी और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बधाइयाँ दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा अगली पीढ़ी को हर तरह से उर्जान्वित करता है। भारत का इतिहास समृद्ध है व गौरवशाली है। हिन्दू सभ्यता, संस्कृति को लेकर अब विश्व सराहना कर रहा है।
स्व को हमने आत्मसात् किया है या नहीं ?? ये चिंता व चिंतन का कारण है। ब्रेन ड्रेन हो सकता है पर माइंड ड्रेन नहीं होता है।
जय जवान जय किसान और जय विज्ञान के बाद मोदी जी ने जो जय अनुसंधान की बात कही है। उसके अभूतपूर्व परिणाम देखने को मिल रहे है। स्व को पुनरभाषित किया जाना ज़रूरी है। स्वतंत्रता के परिप्रेक्ष्य ने भारतीय शिक्षा नीति से अगले 25 वर्षों का भारत के भविष्य के लिए परिभाषित करना है।

GNS विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि हम भी समझते है अपने हिसाब से राम ने कभी उपदेश नहीं दिया। कर्म से लोगों को बताया है। चाणक्य में एक नया सिद्धांत दिया। देश को राजा और चाणक्य की कहानी सुनाई। राजा सोच नहीं सकता हम चिंतक़ो का काम है- समाज के लिए शासन को राह दिखाना। मै सांसद था 6 वर्षों तक शिक्षार्थी के रूप में इतिहास लेखन के लिए कई प्रयास भी किए।

केदार सिंह के अध्यक्ष NCERT ने स्वीकार किया 1987 में सरकार ने दवाब देकर इतिहास को बदलवाया। अटल जी का संस्मरण सुनाया कि जनसंघी भी देश को चला सकता है। समय आएगा जब हम पूरी शक्ति से सरकार लाकर अपनी नीति बनाएँगे। जो आज हो रहा है। PM मोदी पहली बार वाराणसी में पीएम बनने के बाद कहा था कि जो मै हूँ जो हूँ। इससे बड़ा संदेश क्या हो सकता है। नई शिक्षा नीति तो ला रहे है लेकिन शिक्षकों का निर्माण कहाँ कर रहे है। वो भी ज़रूरी है। मैकाले ने जो लंदन के संसद में जो बातें कही है वो अपने पुरानी शिक्षा नीति को समझ सकते है। राम और कृष्ण का सारा प्रमाण मिल गया क्या उसको हम इतिहास में नहीं ले सकते है ? लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि नया सिस्टम बनाना होगा। 1300 साल का इतिहास अपने आप बन जाएगा। लगभग 70-80 % लोग समझ गए है। पुरानी तथ्यों व इतिहास को लेकर। अब आक्रामक होने की ज़रूरत है।

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर ओम जी उपाध्याय ने किय़ा। कार्यक्रम के शुरुआत में राकेश मंजुलने ने कार्यक्रम की भूमिका पर प्रकाश डाला।

 

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.