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कथाओं

गुलदस्ता प्रेरक कथाओं की- रिश्तों में बदलाव

आज सुबह से ही मानो घर में त्यौहार-सा माहौल लग रहा है। मम्मी जी के चेहरे की चमक और रसोई से आती पकवानों की महक दोनों की वजह एक ही है, 'आज दोपहर को खाने (लंच) पर उनकी एक सहेली आने वाली हैं; आज घर को पूरी तरह से सजाया जा रहा है।
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गुलदस्ता प्रेरक कथाओं की- सम्यक दृष्टि का परिणाम

एक राजा था, बहुत प्रभावशाली, बुद्धि और वैभव से संपन्न। आस-पास के राजा भी समय-समय पर उससे परामर्श लिया करते थे। एक दिन राजा अपनी शैया पर लेेटे-लेटे सोचने लगा, मैं कितना भाग्यशाली हूं।
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गुलदस्ता प्रेरक कथाओं की- क्रोध में हार की झलक

क्रोध में हार की झलक। बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ की निर्णायक थीं मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती।
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