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प्रवीण सिंह ऐरन

मिर्च-मसाला- जाति ही पूछो साधो की

त्रिदीब रमण ’जब इसां की अपनी पहचान पर वोट चस्पां हो जाता है उसकी सूरत मिट जाती है, वह एक गिनती रह जाता है’ एक पुरानी तुर्किश कहावत है-’जंगल कट रहे थे, फिर भी सारे पेड़ कुल्हाड़ी को ही वोट दे रहे थे, क्योंकि पेड़ सोच रहे थे कि कुल्हाड़ी…
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