प्रियंका गाँधी वाड्रा का झूठ,कांग्रेस और इंदिरा गाँधी का सच!!

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*कुमार राकेश

कांग्रेस की नेता और हजारो करोड़ के आरोपी राबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी वाड्रा आखिर सच से मुंह क्यों छुपाती हैं?एक तो झूठ बोलती हैं,उस पर से देश के नहीं विश्व के अति लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की  निंदा करते नहीं अघाती.भारत के बारे में तो ऐसे बोलती हैं कि भारत सिर्फ उनके खानदान का है.उस भारत पर अन्य किसी का कोई हक ही नहीं.

प्रियंका गाँधी वाड्रा ने 17 अप्रैल को एक टीवी चैनल को दिए गए एक साक्षात्कार में भाजपा को कोसा.मोदी सरकार को कोसा,मीडिया को कोसा और स्वयं के साथ कांग्रेस पार्टी को दूध का धुला बताया,उन्होंनेये भी कहा कि मोदी कौन होते हैं? हमारी इंदिरा जी के बारे में कोई भी टिपण्णी करने वाले.इंदिरा गाँधी देश के लिए शहीद हुई थी.उनका परिवार देश के लिए समर्पित हैं.इसलिए इंदिरा जी या राजीव जी पर किसी को बोलने का कोई हक नहीं बनता.

हद है-खानदानी विरासत की,गज़ब की दादागिरी हैं.इसे कहते हैं-रस्सी जल गई ,परन्तु ऐठन नहीं गयी. मेरा सवाल है प्रियंका जी से-आप कौन होती हैं देश की समग्र जनता द्वारा निर्वाचित,विश्व के अति लोकप्रिय जन नेता और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी के बारे में किसी भी प्रकार की टिपण्णी के लिए?वैसे प्रियंका जी ,आपको मालूम होना चाहिए कि भारत में लोकशाही हैं,जीवन्त लोकतंत्र हैं.यहाँ आपकी पार्टी कांग्रेस की तरह कोई राजतन्त्र नहीं हैं.इसलिए बोलने के पहले आपको सोचना चाहिए.आपके ऐसे ही दंभ भरे आचरणों से कांग्रेस पिछले दस वर्षो से सत्ता से बाहर है.शायद अगले बीस वर्षो तक भी यही दशा रहे.वैसे आपको पता ही होगा कि आपके सहयोगी दल नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला तो घोषणा करचुके हैं कि अगले 2029 तक विपक्ष को केंद्र में सरकार के लिए नहीं सोचना चाहिए.

प्रियंका गाँधी वाड्रा को सोचना चाहिए-स्वयं के साथ पार्टी के भ्रष्टाचार के बारे में,पार्टी के शीर्ष नेता और उनकी माता जी सोनिया गाँधी,भ्राताश्री राहुल गाँधीके बारे में.अपने खडाऊ अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बारे में.इन तीनो परहज़ारो करोड़ के हेराल्ड घोटाले का आरोप हैं.ये सभी न्यायालय द्वारा जमानत पर चल रहे हैं.उनके पति रोबेर्ट वाड्रा पर हजारो करोड़ रूपये के जमीन घोटाले के आरोप हैं.बेचारे वे भी जमानत पर हैं.फिर भी प्रियंका जी आपको शर्म नहीं आती.कैसी नेता हैंआप? क्या व्यक्तित्त्व है आपका? सुनिए प्रियंका जी,भारत का चरित्र है-सत्यमेव जयते का.जहाँ झूठ बिलकुल नहीं चल सकता.चाहे वो आपका परिवार हो या आपके परिवार में नए नए शामिल आप पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल और उनका कुनबो का.इसलिए आपसे मेरी हाथ जोड़कर विनती हैं कि आप ईमानदारी और राष्ट्र भक्ति की बात नहीं करे तो बेहतर होगा.आपको तो ये भी पता होगा कि आप के परिवार व मायका वालों पर जो भी घोटाले के आरोप हैं वो सभी मामले तो 2014 के पहले के हैं .ये सभी मामले 2012 से न्यायालयों में चल रहे हैं.फिर बेचारे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी का इसमें क्या गलती हैं?जरा बताये.

रही बात,आपकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा जी गाँधी का.वैसे उन्होंने देश के लिए कुछ तो अच्छे काम किये,लेकिन उससे ज्यादा सत्ता में बने रहने लिए कई ऐसे उलटे पुल्टे काम करके गयी,जिसका दुष्परिणाम उनको,देश को व कालांतर में आपके पिता जी व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को भी झेलना पड़ा.

इंदिरा गाँधी के बारे में कहा जाता है कि अपने पिता जवाहरलाल नेहरु के कार्यकाल में बिना किसी पद के वह बहुत शक्तिशाली बन गयी थी.एक तथ्य के अनुसार -शायद इसी अतिरेक की वजह से एक बार उस वक़्त के सेना अध्यक्ष मानिकशाह ने उन्हें एक महत्वपूर्ण बैठक में जाने रोक दिया था,जो भारतीय सेना के लिए अहम् बैठक थी.इसका मतलब ये हैं कि नेहरु काल में भी कांग्रेस देश को अपने जेब का एक हिस्सा मानकर राज करती थी.मानिक शाह जैसे सेना नायक के लिए राष्ट्र प्रेम प्रथम था न कि व्यक्ति प्रेम.

इंदिरा जी ने अपना वर्चस्व स्थापित करने  के लिए अपनी ही पार्टी कांग्रेस को कई प्रकार से छिन्न-भिन्न किया.जिससे कई स्वाभिमानी नेता कांग्रेस छोड़कर चले गए.पार्टी में वही बच गए,जो चापलूस और दरबारी प्रकृति के थे.आज की तारीख में कांग्रेस उस मायाजाल से अबतक नहीं निकल सकी है.लगता है अब निकलेगी भी नहीं. आप बताये,भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की असमय  मौत और उनकी रहस्मय मौत के लिए जाँच नहीं होने देने के लिए कौन जिम्मेदार था?

1971 में भारत बांग्ला देश युद्ध और उसके दुष्परिणाम के किये भारत को जो झेलना पड़ा,उसके लिए कौन जिम्मेदार था? भारत में 1975-77 तक आपातकाल के लिए कौन जिम्मेदार था?उस काल में आम जनता को गाज़र-मूली के समान समझा गया.आपातकाल की आड़ में भारतीय संविधान में अनावश्यक 42 वां संशोधन कर देश को संविधान की मूल भावना के खिलाफ “सेक्युलर” शब्द किसने जोड़ा?और क्यों?जाने माने कई राजनीतिज्ञ बताते हैं कि ये नेहरू जी का भी सपना था,जिसे मूल संविधान सभा ने नकार दिया था,परन्तु पिता के सपनो को पुत्री ने पूरा किया.वो भी 26 वर्षो बाद!

प्रियंका जी,आपके लिए ये भी चिंता व चिंतन की बात है-सेक्युलर और तुष्टिकरण एक साथ कैसे चल सकते हैं,लेकिन आपकी पार्टी व सरकार ने चलाया.इसकी वजह से विश्व का एक मात्र हिन्दू बहुल देश में हमारा हिन्दू समाज बेचारा बनने को मजबूर हो गया.इसके पूर्व मुसलमानों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड,वक्फ बोर्ड,पूजा स्थल विधेयक जैसे राष्ट्रीय पाप तो इंदिरा जी व कांग्रेस के कार्यकाल में ही किये गए.

प्रियंका जी,आपने कहा धर्म की बात -आप बताये -आपका धर्म क्या हैं? आपके पति हाल में हमारे बांके बिहारी जी मंदिर गए थे.माथे पर चन्दन टीका और फूलो का हार पहना था.उनका धर्म क्या हैं?इंदिरा जी रुद्राक्ष पहनती थी,परन्तु वो तो हिन्दू नहीं थी.न तो आप हिन्दू हैं,न आपके भाई,न ही आपकी माता जी.आपकी शादी भी तो ईसाई परिवार में हुयी.इंदिरा जी की शादी भी तो मुस्लिम से हुयी थी.राहुल जी भी शक्ति रूपा देवी की आलोचना करते नहीं अघा रहे.फिर भी आप लोग चन्दन टिका लगाकर नौटंकी क्यों करते हो? अब आप सच बताये कि आप लोगो को हिन्दू धर्म पर टिपण्णी करने का कोई नैतिक अधिकार है क्या? आप कब तक भारत की जनता को अटकाते,लटकाते और भटकाते रहेगीं,अब और नहीं ,बहुत हो चुका.

इसलिए बोलने के पहले सोच समझकर बोले,क्योकि भारत की जनता और खासकर हमारा हिन्दू समाज जाग चुका हैं.हम अब और मूर्ख नहीं बनने वाले.क्योकि प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी के आगे आप लोगो की कोई गारंटी कही नहीं ठहरती.

**कुमार राकेश, वरिष्ठ पत्रकार व लेखक,भारत व विश्व के कई देशो के लिए पिछले 34 वर्षो से लेखन व पत्रकारिता में सक्रिय,सम्प्रति GlobalGovernanceNews समूह और समग्र भारत मीडिया समूह के सम्पादकीय अध्यक्ष हैं .

 

 

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