जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 पर पीडीपी के प्रस्ताव से हंगामा, अब्दुल रहीम राथर बने स्पीकर

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,4 नवम्बर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के अनुच्छेद 370 को पुनः बहाल करने के प्रस्ताव पर गहरा विवाद और हंगामा हुआ। इस प्रस्ताव को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहस देखने को मिली। हंगामे के बीच विधानसभा के नए स्पीकर के तौर पर अब्दुल रहीम राथर को चुना गया। राथर का चयन उस समय हुआ, जब विधानसभा में अनुच्छेद 370 को लेकर ध्रुवीकरण और तनाव की स्थिति बनी हुई थी।

पीडीपी ने अनुच्छेद 370 को लेकर प्रस्ताव क्यों रखा?

पीडीपी ने 2019 में केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का विरोध किया था और अब विधानसभा में इसके पुनः बहाल करने के लिए प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के लोगों की स्वायत्तता और विशेष पहचान का प्रतीक था, और इसे बहाल करना राज्य के हित में है। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 की बहाली जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं को सम्मान देने का कदम होगा।

विधानसभा में हुआ हंगामा

पीडीपी के इस प्रस्ताव के बाद विधानसभा में अन्य पार्टियों ने विरोध जताया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया और इसे राष्ट्रविरोधी कदम करार दिया। बीजेपी नेताओं ने कहा कि अनुच्छेद 370 का हटना राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण था और इसका पुनः बहाल करना संभव नहीं है। हंगामे के कारण कुछ समय के लिए विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा।

अब्दुल रहीम राथर का स्पीकर चुना जाना

हंगामे के बीच, अब्दुल रहीम राथर को सर्वसम्मति से विधानसभा का स्पीकर चुना गया। राथर जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक अनुभवी और माने हुए नेता हैं। वे पहले भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं और उनकी निष्पक्षता के लिए जाने जाते हैं। राथर ने स्पीकर बनने के बाद सभी विधायकों से अपील की कि वे शांति और संयम बनाए रखें और राज्य के विकास और स्थिरता के लिए एकजुट होकर काम करें। उन्होंने कहा कि विधानसभा में स्वस्थ और सकारात्मक बहस होनी चाहिए ताकि राज्य के मुद्दों पर उचित निर्णय लिया जा सके।

अनुच्छेद 370 पर फिर से बहस क्यों?

अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक माहौल में गहरी बदलाव आया है। हालांकि, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियां इसे जम्मू-कश्मीर की पहचान से जुड़ा मुद्दा मानती हैं और इसे राज्य की स्वायत्तता के लिए महत्वपूर्ण मानती हैं। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से इन दलों का केंद्र सरकार से टकराव भी बढ़ा है, और वे इसे बार-बार विधानसभा और अन्य मंचों पर उठाते रहे हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

पीडीपी के इस प्रस्ताव पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी पीडीपी का समर्थन किया और अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर की पहचान और स्वायत्तता का प्रतीक बताया। वहीं, बीजेपी और अन्य राष्ट्रीय दलों ने इसे नकारात्मक दृष्टिकोण के साथ देखा और इसे विकास में बाधा बताया। बीजेपी नेताओं का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में शांति और विकास के नए आयाम खुले हैं, और इसे वापस बहाल करने की मांग करने का कोई औचित्य नहीं है।

निष्कर्ष

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 को लेकर विवाद और हंगामा यह दर्शाता है कि इस मुद्दे पर राज्य में गहरा विभाजन है। एक ओर पीडीपी और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां इसे राज्य के अधिकारों और पहचान के रूप में देखती हैं, वहीं केंद्र सरकार और राष्ट्रीय पार्टियां इसे राष्ट्र की एकता और अखंडता के पक्ष में लिए गए फैसले के रूप में देखती हैं। अब्दुल रहीम राथर के स्पीकर बनने से उम्मीद की जा रही है कि वे इस संवेदनशील मुद्दे पर निष्पक्षता से कार्य करेंगे और विधानसभा में शांति बनाए रखने की कोशिश करेंगे।

इस प्रकार, अनुच्छेद 370 पर जारी यह बहस जम्मू-कश्मीर की राजनीति का एक प्रमुख विषय बनी रहेगी। राज्य के विकास और स्थिरता के लिए सभी दलों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि लोगों के हित में ठोस निर्णय लिए जा सकें।

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