महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर करप्शन के आरोप खत्म, 1,000 करोड़ की जब्त संपत्ति रिलीज होगी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,9 दिसंबर।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली स्थित आयकर विभाग ट्रिब्यूनल ने उनकी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की जब्त संपत्तियों को रिलीज करने का आदेश दिया है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब अजित पवार ने हाल ही में डिप्टी सीएम पद की छठी बार शपथ ली है।

क्या है मामला?

2021 में आयकर विभाग ने अजित पवार और उनके परिवार से जुड़ी 30 से ज्यादा संपत्तियां जब्त की थीं। इन संपत्तियों को बेनामी लेनदेन और आय से अधिक संपत्ति के आरोपों के तहत सीज किया गया था। हालांकि, अब ट्रिब्यूनल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आयकर विभाग उनके खिलाफ बेनामी लेनदेन के कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका।

ट्रिब्यूनल का फैसला

ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा:

  • सभी लेनदेन बैंकिंग सिस्टम के माध्यम से किए गए थे।
  • आयकर विभाग बेनामी लेनदेन के आरोप को साबित करने में विफल रहा।
  • जब्त संपत्तियां बिना किसी कानूनी आधार के सीज की गई थीं।

इस फैसले के बाद अजित पवार की 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति रिलीज कर दी जाएगी।

राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़ाव

दिलचस्प बात यह है कि यह फैसला अजित पवार के उपमुख्यमंत्री पद की छठी बार शपथ लेने के ठीक दो दिन बाद आया है। यह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। विपक्षी दलों ने इसे “राजनीतिक दबाव का नतीजा” करार दिया है, जबकि पवार के समर्थकों ने इसे उनके “निर्दोष” होने का प्रमाण बताया है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

अजित पवार के खिलाफ चल रहे मामलों को बंद किए जाने पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सत्ता में आने के बाद उनके खिलाफ मामलों को तेजी से खत्म किया गया है।
कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) ने इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है।

अजित पवार की प्रतिक्रिया

अजित पवार ने इस फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें कानून और न्यायपालिका पर हमेशा भरोसा था। उन्होंने कहा, “मुझ पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद थे। मैं हमेशा से कानून का पालन करने वाला नागरिक रहा हूं।”

क्या है आगे की राह?

अजित पवार की राजनीतिक छवि पर इस फैसले का सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विपक्ष इस मुद्दे को किस तरह से भुनाता है।

निष्कर्ष

यह फैसला न केवल अजित पवार के लिए, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। जहां एक ओर पवार समर्थकों ने इसे सत्य की जीत बताया है, वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक दबाव का परिणाम मान रहा है। आगामी दिनों में इस मामले पर राजनीति गर्माने की संभावना है।

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