संभल के कल्कि मंदिर पहुंची ASI टीम: कृष्ण कूप का सर्वे और मंदिर के गुंबद की तस्वीरें लीं

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 दिसंबर।
संभल: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने आज उत्तर प्रदेश के संभल स्थित प्रसिद्ध कल्कि मंदिर का दौरा किया। इस दौरान टीम ने मंदिर के परिसर में मौजूद कृष्ण कूप का सर्वे किया और मंदिर में बने गुंबद की विस्तृत तस्वीरें लीं। ASI की इस कार्रवाई को ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कृष्ण कूप का सर्वेक्षण

कल्कि मंदिर परिसर में मौजूद कृष्ण कूप को ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि यह कूप (कुआं) भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है। ASI की टीम ने कूप के आसपास की संरचनाओं का बारीकी से अध्ययन किया और इस बात की जांच की कि इसका इतिहास कितना पुराना हो सकता है। विशेषज्ञों ने इस कूप के निर्माण सामग्री और स्थापत्य शैली की भी जांच की।

गुंबद की तस्वीरें क्यों ली गईं?

मंदिर में बना गुंबद वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। ASI टीम ने गुंबद की तस्वीरें लीं और इसके डिजाइन, निर्माण शैली और संरचना का अध्ययन किया। यह माना जा रहा है कि टीम इस गुंबद के निर्माण काल और इसके ऐतिहासिक महत्व को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

ASI टीम की इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह देखा गया। मंदिर के पुजारियों और श्रद्धालुओं ने टीम को हर संभव सहयोग प्रदान किया। कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि यह सर्वे मंदिर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को और उजागर करेगा।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

संभल का कल्कि मंदिर हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह मंदिर भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि को समर्पित है। मंदिर में हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा, यह मंदिर अपने स्थापत्य और धार्मिक परंपराओं के लिए भी प्रसिद्ध है।

आगे की योजना

ASI टीम इस सर्वेक्षण के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसमें कृष्ण कूप और गुंबद के ऐतिहासिक महत्व के बारे में निष्कर्ष शामिल होंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की संरक्षण और विकास योजनाओं पर काम किया जाएगा।

निष्कर्ष

संभल के कल्कि मंदिर का यह सर्वे भारतीय इतिहास और संस्कृति की अनमोल धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ASI की यह पहल न केवल इस धार्मिक स्थल के महत्व को उजागर करेगी, बल्कि इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में भी मददगार साबित हो सकती है।

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