समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 मार्च। भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय संबंधों की जड़ें गहरी और ऐतिहासिक हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते समय के साथ मजबूत हुए हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा और दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर से यह साबित होता है कि भारत और मॉरीशस के संबंध निरंतर प्रगाढ़ हो रहे हैं। लेकिन चीन की विस्तारवादी नीतियों के बढ़ते प्रभाव के बीच इन संबंधों की राजनीतिक अहमियत और भी बढ़ जाती है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा ने इन संबंधों को और भी सुदृढ़ और प्रगाढ़ किया है। प्रधानमंत्री मोदी को मॉरीशस के 57वें राष्ट्रीय दिवस के समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया, जो दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच की मित्रता कितनी मजबूत और निरंतर बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की मॉरीशस यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ा है। 57वें राष्ट्रीय दिवस के मौके पर उन्हें मॉरीशस के सर्वोच्च सम्मान “नाइट ग्रैंड क्रॉस” से सम्मानित किया गया। यह न केवल मोदी जी की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मॉरीशस भारत के प्रति अपनी मित्रता और सम्मान की भावना को कितना महत्व देता है। यह सम्मान भारत और मॉरीशस के रिश्तों की गहराई और प्रगाढ़ता का प्रतीक है।
इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी ने केवल दोनों देशों के बीच रिश्तों की पुष्टि की, बल्कि नई साझेदारियों और सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठाए।
भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की नींव सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से बहुत पुरानी है। मॉरीशस में भारतीय मूल के नागरिकों की बड़ी संख्या है, जो मूल रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों से हैं। मॉरीशस के लोग भारतीय संस्कृति, परंपराओं और भाषा से गहरे जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि भारत और मॉरीशस के बीच रिश्ते सिर्फ कूटनीतिक और व्यापारिक नहीं, बल्कि जन-जन के स्तर पर भी बहुत मजबूत हैं।
भारत ने हमेशा मॉरीशस की स्वतंत्रता की लड़ाई में उसका समर्थन किया और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी दोनों देशों के रिश्ते हमेशा मजबूत बने रहे। खासकर भारत ने मॉरीशस को कई तरह की सहायता और सहयोग प्रदान किया है, जो दोनों देशों के बीच विश्वास और आपसी समझ को और भी गहरा करता है।प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जो दोनों देशों के बीच सहयोग के नए आयाम खोलते हैं। भारत और मॉरीशस ने आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें समुद्री सुरक्षा, और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं शामिल हैं। इन समझौतों के माध्यम से दोनों देशों ने अपने संबंधों को और अधिक मजबूत करने का संकल्प लिया है।
समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में भारत और मॉरीशस के बीच सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है। भारतीय युद्धपोतों ने मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में हिस्सा लिया, जो दोनों देशों के बीच गहरे समुद्री सहयोग को दर्शाता है। भारतीय युद्धपोतों की उपस्थिति मॉरीशस की सुरक्षा और समुद्री क्षेत्र में भारत के समर्थन की पुष्टि करती है। भारत ने मॉरीशस के समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए कई पहल की हैं, और यह यात्रा इस दिशा में एक और कदम थी।
समुद्र में बढ़ते सुरक्षा खतरों को देखते हुए भारत और मॉरीशस ने समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम करने का निर्णय लिया है। इसके तहत दोनों देशों के बीच समन्वित गश्त, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान, और संयुक्त अभ्यास जैसे कदम शामिल होंगे, जिससे दोनों देशों को समुद्री खतरों से निपटने में मदद मिलेगी।
भारत ने मॉरीशस में कई विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की है, और आगामी समय में इन परियोजनाओं को तेजी से लागू करने पर जोर दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भारत और मॉरीशस ने नये समझौतों की दिशा में काम किया है, जिससे दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक सहयोग और अधिक प्रगाढ़ होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा के दौरान “ग्लोबल साउथ” के विकास के लिए भारत के दृष्टिकोण को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि भारत का उद्देश्य विकासशील देशों के साथ साझेदारी और सहयोग को बढ़ाना है, ताकि सभी देशों के विकास की दिशा में समान अवसर प्राप्त हों। मोदी जी ने इसे “एक्सपेंडेबल और सस्टेनेबल” दृष्टिकोण के रूप में पेश किया। मॉरीशस को भारत के इस दृष्टिकोण में साझीदार बनाना दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।
भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक संबंधों की एक लंबी परंपरा है, और यह यात्रा इस सांस्कृतिक संबंध को और मजबूत करने का एक और अवसर था। प्रधानमंत्री मोदी ने मॉरीशस के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं से जोड़ा और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की दिशा में कई पहल कीं।
चीन की विस्तारवादी नीतियाँ , विशेष रूप से भारतीय महासागर क्षेत्र में, भारत के लिए एक चिंता का विषय हैं। चीन ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है, जो भारत के लिए सुरक्षा संबंधी जोखिम उत्पन्न करता है। इसके तहत, चीन ने विभिन्न द्वीपों पर अपने व्यापारिक और सामरिक दबदबे को मजबूत किया है, जिससे भारत को रणनीतिक दृष्टिकोण से चिंता हो रही है।
मॉरीशस, जो भारत के नजदीकी और विश्वासपात्र सहयोगी के रूप में जाना जाता है, चीन की बढ़ती गतिविधियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है। भारत और मॉरीशस के बीच मजबूत समुद्री और सुरक्षा सहयोग इस दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत ने मॉरीशस को समुद्री सुरक्षा में सहयोग, हथकरघा क्षेत्र में मदद और अन्य विकासात्मक परियोजनाओं के माध्यम से समर्थन दिया है। इन सहयोगों के जरिये भारत और मॉरीशस ने एक साझा सुरक्षा ढांचा तैयार किया है, जिससे दोनों देशों को चीन की विस्तारवादी गतिविधियों का मुकाबला करने में मदद मिलती है।
इसके अलावा, भारत और मॉरीशस के बीच आर्थिक संबंधों की भी बड़ी भूमिका है। भारत मॉरीशस में विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से निवेश कर रहा है, जिससे मॉरीशस को चीन के आर्थिक दबाव से बचने में मदद मिलती है। दोनों देशों के बीच मजबूत वाणिज्यिक रिश्ते न केवल चीन के प्रभाव को संतुलित करते हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर दोनों देशों की साझेदारी को भी मजबूती प्रदान करते हैं।भारत और मॉरीशस के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंध भी लगातार बढ़ रहे हैं। मोदी जी की यात्रा के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। भारत ने मॉरीशस को विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक सहायता प्रदान की है, खासकर आधारभूत संरचना, ऊर्जा, और शिक्षा के क्षेत्र में।
भारत-मॉरीशस संबंध चीन की विस्तारवादी नीतियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण हो जाते हैं। दोनों देशों का सामरिक और आर्थिक सहयोग न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर भी एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की मॉरीशस यात्रा ने भारत और मॉरीशस के रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि दोनों देशों के बीच सहयोग के क्षेत्र निरंतर बढ़ रहे हैं। दोनों देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक, सांस्कृतिक और समुद्री सहयोग में वृद्धि के साथ-साथ “ग्लोबल साउथ” के विकास के लिए भी एक नई दिशा स्थापित हुई है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत और मॉरीशस के रिश्ते भविष्य में और भी मजबूत होंगे, और यह साझेदारी क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाली होगी।