पंजाब का मुख्य मंत्री कौन आप का केजरीवाल या आप का मान.. ?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 मार्च।
अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में अपनी राजनीति को नया मोड़ देने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। 18 मार्च को लुधियाना में उनके द्वारा आयोजित रोड शो और अस्पताल दौरे के आयोजन के बाद उनके राजनीतिक कदमों पर सवाल उठना स्वाभाविक है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब केजरीवाल ने पंजाब में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजन किए हैं, लेकिन अब यह साफ होता जा रहा है कि उनके इन कदमों का मुख्य उद्देश्य पंजाब के लोगों की सेवा से ज्यादा, अपने व्यक्तिगत और पार्टी के राजनीतिक लाभ को बढ़ाना है।

दरअसल, इस बार केजरीवाल लुधियाना में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक अस्पताल का उद्घाटन करने जा रहे हैं, जहां वह सीएम भगवंत मान के साथ मौजूद रहेंगे। यह कार्यक्रम सिर्फ अस्पताल के उद्घाटन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इस दौरान एक रोड शो भी आयोजित किया जाएगा। यह रोड शो केजरीवाल के लिए एक अवसर होगा, जहां वह अपनी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) को पंजाब में एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करने की कोशिश करेंगे। यह घटनाक्रम न केवल केजरीवाल के लिए बल्कि पंजाब के लिए भी कई सवाल खड़े करता है।

कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि अगर अस्पताल का उद्घाटन एक सामान्य प्रशासनिक कार्य है, तो उसे इतने बड़े प्रचार के साथ क्यों किया जा रहा है? क्या यह सिर्फ एक अस्पताल की सामान्य सेवाओं का विस्तार है, या फिर इसके पीछे एक रणनीतिक कदम छुपा है? दरअसल, यह कदम पंजाब में चुनावी प्रचार की तरह अधिक प्रतीत होता है, जहां केजरीवाल खुद को पंजाब के भविष्य के नेता के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं। अस्पतालों में सुधार और नई सुविधाएं देना स्वागत योग्य कदम है, लेकिन क्या इसका उद्घाटन और प्रचार इस तरह से किया जाना आवश्यक था? यह सवाल उठता है।

पंजाब की राजनीति में केजरीवाल के बढ़ते प्रभाव को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषक भी अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं। पंजाब की राजनीति में उनकी उपस्थिति को लेकर यह आकलन किया जा रहा है कि उन्होंने अपनी पार्टी को एक ‘सुप्रीम पार्टी’ के रूप में स्थापित करने के लिए एक सशक्त कदम उठाया है, जहां मुख्यमंत्री भगवंत मान का सिर्फ एक दिखावा है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे सोनिया गांधी के नेतृत्व में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया था, लेकिन असल फैसले सोनिया गांधी के ही होते थे। कुछ ऐसा ही केजरीवाल के मामले में भी हो सकता है, जहां वह खुद को पंजाब का ‘सुपर मुख्यमंत्री’ बना सकते हैं और मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक ‘साइड हीरो’ बना कर रख सकते हैं।

केजरीवाल का यह कदम पंजाब में उनके सत्ता को मजबूत करने का एक और प्रयास है। उनका रोड शो और अस्पताल उद्घाटन जैसे आयोजन पंजाब के चुनावी माहौल में केवल एक दिखावा प्रतीत होते हैं, जहां उनकी मुख्य चिंता पंजाब में अपनी पार्टी की स्थिति को और मजबूत करना है, न कि पंजाबवासियों की वास्तविक समस्याओं का समाधान करना। यह सब केवल इसलिए किया जा रहा है ताकि जनता को यह संदेश दिया जा सके कि केजरीवाल ही पंजाब के ‘सुपर हीरो’ हैं, और उनके नेतृत्व में ही पंजाब की राजनीति सही दिशा में जाएगी।

इसके अलावा, पंजाब में आम आदमी पार्टी के मंत्री और पार्टी के अन्य नेता भी दिल्ली से आकर पंजाब में सरकार चला रहे हैं, जिससे यह संदेश जाता है कि पंजाब के लोग अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक क्षमता का उपयोग करने के लिए सक्षम नहीं हैं। दिल्ली से आए हुए नेता, जैसे मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन, जो पहले ही कई विवादों में घिरे हुए हैं, पंजाब के मामलों को संभाल रहे हैं। यह पंजाब की जनता के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या दिल्ली के नेता पंजाब के मामलों में बेहतर निर्णय ले सकते हैं? क्या पंजाब के लोग अपनी सरकार चलाने के लिए सक्षम नहीं हैं, और इसलिए उन्हें दिल्ली से सहायता की आवश्यकता है?

अरविंद केजरीवाल की पंजाब में बढ़ती राजनीति यह दिखाती है कि उनकी प्राथमिकता पंजाबवासियों की भलाई नहीं, बल्कि उनकी पार्टी का राजनीतिक लाभ है। उनका अस्पताल उद्घाटन, रोड शो और राजनीतिक आयोजन केवल एक प्रचार अभियान की तरह प्रतीत होते हैं, जिसमें उनकी पार्टी के लिए वोट इकट्ठा करने का लक्ष्य है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान की भूमिका बहुत सीमित और तटस्थ नजर आ रही है, जो केजरीवाल के दबदबे से प्रभावित है।

इससे यह भी साफ होता है कि केजरीवाल ने पंजाब में अपनी राजनीति को स्थापित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पंजाब के लोग इस प्रकार के राजनीतिक खेलों को समझने में सक्षम हैं और क्या वे अपनी राजनीतिक निर्णय लेने की स्वतंत्रता को छिनने देंगे? पंजाब की राजनीति को सशक्त बनाने के लिए अगर केजरीवाल सच में कुछ करना चाहते हैं, तो उन्हें सत्ता के खेल से बाहर निकल कर राज्य की वास्तविक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करना होगा।

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