
पार्थसारथि थपलियाल
हिन्दू कट्टर नही हो सकता – सह-सरकार्यवाह जी
डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने जीवन में प्रतियोगिता कारण होनेवाले तनाव की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि इस दौर में मनुष्य के सामने जीवन के लक्ष्य की बजाय जीवन की सफलता को साध्य के रूप में रख दिया गया है। इस कारण अनेक युवा तनाव में हैं, संघर्षमय जीवन जी रहे हैं। इस पाथेय के बीच बीच मे जिज्ञासु सहभागी जिज्ञासा भी रखते रहे और जिज्ञासा धतं भी होती रही। भारतीय मुसलमानों को लेकर उठाई गई जिज्ञासा के उत्तर में उन्होंने कहा भारत का मुसलमान भारतीय हैं। उनके पूर्वज हिन्दू थे। उन्होंने अपनी उपासना बदली है। कुछ लोग अतिवादी हैं, उनके कारण समाज में समस्याएं दिखाई देती हैं। एक प्रतिभागी ने कट्टर हिंदुत्व पर जिज्ञासा रखी। इस पर माननीय सह सरकार्यवाह जी ने कहा- हिन्दू अपने स्व को पहचान ले। हिन्दू और कुछ बनने की बजाय हिन्दू ही रहे। हिन्दू कट्टर क्यों बने? हिन्दू नाराज हो सकता है। क्रोधित हो सकता है लेकिन कट्टर नही हो सकता। जिस दिन भारत का हर आदमी, हर समाज अपने स्व को पहचान लेगा उस दिन भारत का स्व स्वयं जागृत हो जायेगा। भारत का स्व संकीर्ण नही है बहुत व्यापक है। दरसल लोग बातें करते हैं बड़ी बड़ी बातें लेकिन उन्हें अक्सर उन बातों के मूल का पता नही होता। हमारी पुस्तकों का ज्ञान जान सामान्य के लिए है जिसे बड़ी बातें करनेवलों ने कभी पढ़ा ही नही। उनमें भारत का स्व देखने पढ़ने को मिल जाएगा। उन्होंने “जातिप्रथा और उसका उन्मूलन” किताब का संदर्भ दिया। समाज मे व्याप्त बुराइयां हमारी संकीर्णताओं के परिचायक हैं। गुरु नानकदेव जी ने इन बातों को पहचाना। उनके अनुयायी उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं।
डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने शिक्षा की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब देश में शिक्षा के लिए वृहद योजना बन रही थी उस समय भारत के महान विचारक, शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उस व्यवस्था को एक पत्र लिखकर अवगत किया था कि पिछले सौ वर्षों में भारतीयता की बहुत अनदेखी की गई है। हम अपने समाज को अपनी जड़ों से जोड़ें। इसके लिए जरूरी है कि हमारी शिक्षा भारतीयता से परिपूर्ण हो। लेकिन ऐसा नही हुआ। सह-सरकार्यवाह जब बोल रहे थे तब यह अर्थ स्वयं ध्वनित हो रहा था कि सत्ता में भारतीय अंग्रेज आ चुके थे जो शिक्षा का पाश्चात्यकरण कर रहे थे। यही कारण है कि आधुनिक भारतीय अपनी संस्कृति से दूर होते दिखाई दे रहे हैं। यह भारतीयता का स्व है जिसे समाज को पहचानना है। समाज परिवर्तन के संदर्भ में वैद्य जी ने Tipping Point नामक पुस्तक की चर्चा की और बताया यह पुस्तक पठनीय है। उन्होंने कहा कि जब समाज मे परिवर्तन होता है तो सत्ता भी बदलती है। इस संदर्भ में उन्होंने 16 मई 2014 को लोकसभा के चुनाव परिणाम घोषित होने पर अमेरिका के गार्जियन समाचार पत्र की हेडलाइन का उल्लेख किया कि समाज मे परिवर्तन के कारण मोदी की जीत हुई। भारतीय समाज मे बदलाव आ रहा है। यह बदलाव धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। लोगों में राष्ट्रीय चेतना बढ़ रही है। समाज मे राष्ट्रीय चेतना समाज मे बदलाव की शुरूआत है। अपने उद्बोधन में डॉ. वैद्य ने कार्य और कार्यक्रम में अंतर को भी व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कार्य और कार्यक्रम में बहुत अंतर है। केवल योजनाएं बना देने से कुछ नही होगा जब तक उस कार्यक्रम की योजना को आगे बढ़ाने के लिए निष्ठापूर्ण कार्य न किया जाय तब तक वह कार्यक्रम योजना व्यर्थ है।
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सह-सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी के उद्बोधन के सार की अंतिम कड़ी अगले अंक में…