डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य, ऊर्जा, पर्यावरण, डिजिटलीकरण और स्वचालन के विषयों पर काम करने वाले चयनित 30 स्टार्टअप संस्थापकों के साथ एक लघु प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पुणे स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के नए भवन परिसर का उद्घाटन किया और स्टार्टअप्स के साथ बातचीत की
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21अगस्त। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज पुणे स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के नए भवन परिसर का उद्घाटन किया और स्टार्टअप्स के साथ बातचीत की।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – सूचना उत्पाद अनुसंधान एवं विकास यूनिट (सीएसआईआर-यूआरडीआईपी) का नया संस्थागत भवन राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) परिसर में स्थित है और इसके उद्घाटन के अवसर पर स्वास्थ्य, ऊर्जा, पर्यावरण, डिजिटलीकरण और स्वचालन के विषयों पर काम कर रहे चयनित 30 स्टार्टअप संस्थापकों के साथ एक लघु (मिनी) प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने दुनिया के पहले धुएं रहित सैनिटरी पैड निपटान और पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) प्रणाली वाले दुनिया के पहले दोहरे रूप में संचालित (ग्रिड + मैकेनिकल) द्विचरणीय (बाइफेजिक) डिफाइब्रिलेटर जैसे पहली तरह के नवाचारों के साथ आने वाले भारतीय स्टार्टअप में गहरी दिलचस्पी ली। मंत्री महोदय ने संस्थापकों को इस तरह के वैश्विक नवाचारों को बढ़ाने के उद्देश्य से उदार वित्त पोषण के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से संपर्क करने का आश्वासन दिया। उन्होंने उद्योगों से भारत के स्टार्टअप पर्यावरण (इकोसिस्टम) को अधिक जीवंत एवं परिणामोन्मुखी बनाने के लिए ऐसी सफलता की कहानियों के साथ साझेदारी करने की भी अपील की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने परिसंचारी ट्यूमर कोशिका नैदानिक समाधान (सेल डायग्नोस्टिक समाधान) के लिए सीडीएससीओ द्वारा अनुमोदित भारत के पहले और एकमात्र जैव-सक्रिय ग्लास आधारित सिंथेटिक हड्डी-ग्राफ्ट विकल्प दंत उत्पाद, अगली पीढ़ी के बायोनिक हथियार, दृष्टि पोस्ट में सुधार के लिए अनुकूलन योग्य इंट्राओक्युलर लेंस मोतियाबिंद सर्जरी और अगली पीढ़ी की सोडियम आयन बैटरी प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए विभिन्न कंपनियों की सराहना की ।
कृषि स्टार्टअप्स में गहरी दिलचस्पी लेते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने सिंचाई प्रबंधन को स्मार्ट, विश्वसनीय और कुशल परिणाम “प्रति क्षेत्र अधिक उपज”, और अगली पीढ़ी के कृषि जैविक फसलों को जलवायु को लचीला और कीड़ों एवं रोगों के लिए प्रतिरोधी बनाने के लिए भारत के पहले और सबसे बड़े संपीड़ित बायोगैस संयंत्र के मालिकों के साथ जैविक खाद्य अपशिष्ट को संपीड़ित बायो गैस में परिवर्तित करने के साथ-साथ स्वदेशी रूप से विकसित सेंसर तकनीक के लिए कंपनियों के साथ बातचीत की। उन्होंने बड़े पैमाने पर कृषि स्टार्टअप्स को हर संभव सहायता देने का वादा किया।
कार्यक्रम के दौरान रीयल-टाइम आईओटी – आधारित वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरण के साथ काम करने वाले स्टार्टअप्स के साथ ही यूनिकॉर्न अवस्था प्राप्त एक ऐसी कंपनी भी उपस्थित थी जिसने अगली पीढ़ी की 5जी वायरलेस तकनीक विकसित की है जो बिना लाइसेंस वाले स्पेक्ट्रम में बड़े पैमाने पर फाइबर-क्लास, नॉन-लाइन-ऑफ-विज़न ब्रॉडबैंड प्रदान करती है।
इस अवसर पर पूरी तरह से स्वायत्त बुद्धिमान हाउसकीपिंग, सामग्री प्रबंधन, औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोगों के लिए रोबोट सेवा देने वाली अपने तरह की पहली कम्पनी भी आई थी।
नए भवन परिसर का उद्घाटन करने के बाद बातचीत से पहले डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – सूचना उत्पाद अनुसंधान एवं विकास यूनिट (सीएसआईआर-यूआरडीआईपी) पेटेंट विश्लेषण (एनालिटिक्स) और सूचना विज्ञान गतिविधियों में संलग्न एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर की एक विशेष सेवा इकाई के रूप में, विशिष्ट ज्ञान-आधारित सेवा क्षेत्र को पूरा करने के लिए, सीएसआईआर-यूआरडीआईपी अपने अस्तित्व के 22 वें वर्ष में है, जो पूर्व-अनुसंधान और पूर्व-विकास चरणों का समर्थन करने वाली निरंतर विश्लेषिकी और सूचना विज्ञान सेवाओं की गतिविधियों के लिए समर्पित है। साथ ही नियमित, मिशन-मोड और थीम-आधारित सीएसआईआर अनुसंधान और विकास परियोजनाओं के अलावा अनुसंधान संस्थानों, स्टार्ट-अप, एसएमई, भारतीय कॉरपोरेट्स तथा बहुराष्ट्रीय निगमों को सहायता सेवाएं भी प्रदान करता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि पिछले 2 दशकों में, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – सूचना उत्पाद अनुसंधान एवं विकास यूनिट (सीएसआईआर – यूआरडीआईपी) ने पेटिनफॉरमैटिक्स, केम बायो-इनफॉरमैटिक्स [औषधियों की खोज हेतु निवेश (इनपुट टू ड्रग डिस्कवरी – इंफॉर्मेशन प्रोडक्ट्स], फाइटो – इनफॉरमैटिक्स, टॉक्सिनफॉर्मेटिक्स और वेब-आधारित अनुप्रयोगों के विकास में अग्रणी पंक्ति की (फ्रंटलाइन) क्षमताओं के साथ ही पोर्टल, विषय-विशिष्ट डेटाबेस, ओपन एक्सेस और ओपन इनोवेशन का समर्थन करने के लिए संस्थागत रिपोजिटरी, विभिन्न हितधारकों को मूल्य वर्धित सूचना सेवाएं प्रदान करने और सीएसआईआर ज्ञान आधार के लिए सराहनीय मूल्यवर्धन के लिए काम किया है।
अपने सम्बोधन के अंत में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अपने संस्थागत परिसर के विस्तार के साथ ही सीएसआईआर-यूआरडीआईपी के लिए आत्म निर्भर भारत को साकार करने की दिशा में इस प्रमुख सूचना विज्ञान क्षेत्र में अपनी विविध गतिविधियों के दायरे और कार्यक्षेत्र का विस्तार करने एवं देश भर में अधिक आंतरिक छात्रों और विदेशों के ग्राहकों और हितधारकों के अनुरोध की पूरा करने के अवसर बढ़े है तथा उसके अपने कौशल विकास कार्यक्रमों में अपने योगदान को और तेज करने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं।