समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7जनवरी। भारतीय संस्कारों को कला के माध्यम से युवाओं में डालना, मंदिरों को फिर से कला संस्कृति व शक्ति का केंद्र बनाना, हिंदी भाषा का परचम फिर से लहराना, आर्थिक रूप से अशक्त जन को कला के माध्यम से समृद्ध करना…इस मुहीम का बीड़ा उठाया है एक सामाजिक संस्था कला गुरुकुल ने और इसके सार्थक होने की कामना से किया गया। एक महायज्ञ 31 दिसंबर को शाम 4 बजे, शिव मंदिर सी दी ब्लॉक पीतमपुरा। समाज के नामी हंस्थियाँ इस संस्था से जुड़ चुकी हैं और इस महायज्ञ में उपस्थित रहीं-
डॉ पवन कंसल, जाने माने उद्योगपति
कवि श्री राजेश चेतन, बीमा गुरु
श्री प्रकाश चंद्र जैन, चेयरमैन बवाना चैम्बर ऑफ़ इंडस्ट्रीज़
श्री गौरव गुप्ता, चार्टर्ड प्रेसिडेंट लायंस क्लब दिल्ली वेज
श्री राजीव तुली, अधिवक्ता व सी ए
श्री कृष्ण वासिया, प्रधान सी दी ब्लॉक शिव मंदिर पीतमपुरा
स्वामी श्री संजय प्रभाकर
श्री विनय राठौर, संगीतकार व गुरु कला गुरुकुल
श्री प्रदीप द्विवेदी, ट्रस्टी व सलाहकार कला गुरुकुल
कला गुरुकुल एक ऐसी संस्था है जहाँ पर हफ़्ते में एक दिन दो घंटे के लिए आकर बिना किसी शुल्क के सीख सकते हैं कला संस्कृति व संस्कार । जैसे हारमोनियम, कीबोर्ड, ढोलक, तबला व गिटार। आप चाहे किसी भी उम्र के हों अपने निकटतम मंदिर में आकर जहां पर कला गुरुकुल स्थापित है इन सभी विधाओं को आसानी से सीख सकते हैं। अगर आपके निकट मंदिर में अभी कला गुरुकुल नहीं स्थापित हुआ है तो आप इस संस्था से बात कर सकते हैं और भेज सकते हैं मंदिर का नाम स्थान व संपर्क करने वाले व्यक्ति का नाम। ये संस्था वहाँ पर सभी वाद्ययंत्र व सिखाने के लिए उचित गुरु व वाद्य यंत्रों का नि:शुल्क प्रबंध करेगी जो हफ़्ते में किसी एक निश्चित दिन आकर आरती से 2 घंटे पहले सभी को सिखायेंगे और बाद में भव्य आरती कर समापन किया जाएगा। अगर आप भी चाहते हैं कि आपके परिवार में संस्कार हो और हम सब अपनी सनातन संस्कृति से जुड़े रहे और घर में प्रत्येक व्यक्ति में कोई न कोई कला विद्यमान हो तो आप कला गुरुकुल संस्था से जुड़ सकतें हैं।